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गीता को 'उग्रवादी साहित्य' बताकर रूस ने लगाया प्रतिबंध

नई दिल्ली| रूस में एक ओर गीता को 'उग्रवादी साहित्य' बताते हुए इस पर प्रतिबंध का मामला अदालत में है, वहीं भारत में रूस के राजदूत ने इस तरह की मुहिम चलाने वालों को 'मूर्ख' करार दिया है। केंद्र सरकार ने इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए संसद को आश्वस्त किया कि उसने इस मुद्दे को 'उच्च स्तर' पर उठाया है। संसद में गीता को 'राष्ट्रीय पुस्तक' घोषित करने की मांग भी उठी। भारत में रूस के राजदूत एलेक्जेंडर कदाकिन ने अपने देश में गीता पर प्रतिबंध की मुहिम चलाने वालों को 'मूर्ख' करार देते हुए मंगलवार को जारी एक बयान में कहा, "रूस एक धर्मनिरपेक्ष तथा लोकतांत्रिक देश है, जहां सभी धर्मो का समान आदर है..

विभिन्न विश्वासों के धार्मिक ग्रंथ, चाहे वह बाइबिल हो या पवित्र कुरान, तोराह, अवेस्ता और भगवद् गीता हो, भारत सहित दुनियाभर के लोगों के लिए ये ज्ञान के स्रोत हैं।"उन्होंने कहा, "मैं समझता हूं कि किसी भी पवित्र ग्रंथ को अदालत में ले जाना गलत है। सभी धर्म के लोगों के लिए ये ग्रंथ पवित्र हैं।"

वहीं, विदेश मंत्री एस. एम. कृष्णा ने सरकार का पक्ष स्पष्ट करते हुए लोकसभा में कहा कि यह 'गुमराह तथा उकसाए गए व्यक्तियों' का काम है। उन्होंने कहा, "मास्को में भारतीय अधिकारी एवं वहां हमारे राजदूत इस्कॉन के प्रतिनिधियों के लगातार सम्पर्क में हैं। हमने रूसी सरकार के साथ शीर्ष स्तर पर यह मुद्दा उठाया है।"उन्होंने उम्मीद जताई कि यह मामला जल्द ही सुलझ जाएगा और इसमें भारतीय सभ्यता के मूल्यों को ध्यान में रखा जाएगा।

इस बीच, गीता को 'राष्ट्रीय पुस्तक' घोषित करने की मांग भी उठने लगी है। लोकसभा में प्रतिपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने कहा कि सरकार को गीता का 'राष्ट्रीय पुस्तक' घोषित करना चाहिए, ताकि कोई भी देश इसका अपमान करने की हिम्मत न करे। उधर, राज्यसभा में भाजपा सदस्य तरुण विजय ने यह मामला उठाया और कहा कि पवित्र हिन्दू ग्रंथ पर प्रतिबंध की कोशिश सूर्य पर रोक लगाने जैसी है। उन्होंने कहा, "क्या सूर्य को रोका जा सकता है, क्या हिमालय को रोका जा सकता है..?"

उन्होंने यह भी कहा, "यह मामला उस वक्त सामने आया जब प्रधानमंत्री रूस की आधिकारिक यात्रा पर थे। क्या उन्होंने इस मुद्दे को उठाया?"भाजपा सहित कई अन्य दलों के सांसदों ने भी दलगत राजनीति से ऊपर उठते हुए विजय का समर्थन किया, जिसके बाद राज्यसभा के उप सभापति के. रहमान खान ने कहा, "सदन इससे सहमत है और इसकी एक मत से आलोचना करता है।"

इस बीच, इसका भी खुलासा हुआ है कि सरकार को रूस में साइबेरियाई शहर तामस्क की अदालत में चल रहे इस मामले पर पहले ही नोटिस दिया गया था। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रधान सचिव पुलोक चटर्जी को एक नवम्बर को लिखे पत्र में श्रीकृष्ण के अनुयायियों ने सरकार से अनुरोध किया था कि वह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की यात्रा से पहले मंत्रियों के उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल को रूस के दौरे पर भेजे, ताकि इस पवित्र ग्रंथ पर प्रतिबंध की कोशिशों को रोका जा सके।

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