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जुटाई जा रही है एक्यूरेट मीटर की स्टेटस रिपोर्ट

देहरादून। ऊर्जा निगम एक्यूरेट मीटर की स्टेटस रिपोर्ट जुटा रहा है। माना जा रहा है कि यह ऊर्जा सचिव के साथ होने वाली बैठक को लेकर जुटाई जा रही है, जो स्थगित हो गई है। इस पूरी कवायद को घोटाले में संलिप्त कंपनी के रोके गए छह करोड़ रुपये का भुगतान करने की तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। एक्यूरेट मीटर कंपनी को लेकर गजब का गड़बड़झाला है। कंपनी के साथ हुए ऊर्जा निगम के एग्रीमेंट में एक्यूरेट मीटर की गारंटी दस साल बताई गई है, जबकि प्रीबिड कांफ्रेंस में इसे घटाकर पांच साल कर दिया गया था। प्रीबिड एग्रीमेंट का ही हिस्सा है। अभी तक कहा जा रहा था कि एक्यूरेट मीटरों की गारंटी दस साल की है, अब कहीं इसे पांच साल तो नहीं माना जा रहा है, यह सवाल महत्वपूर्ण है। ऊर्जा निगम के एमडी एके जैन ने बताया कि उन्हें इस प्रकरण की बहुत जानकारी नहीं है।
इस संबंध में आज ऊर्जा सचिव के साथ बैठक होनी थी, जो स्थगित हो गई है। आज स्थिति यह है कि खराब एक्यूरेट मीटर विभिन्न टेस्ट डिविजनों में पड़े हुए हैं। कंपनी कह रही है कि उसके खराब मीटरों की कीमत काटकर बाकी राशि का उसे भुगतान कर दिया जाए। निगम ने 2007 के बाद इन मीटरों की रिपोर्ट तैयार नहीं की है। इसके अनुसार करीब 26 हजार मीटर खराब हैं। जबकि वास्तविकता यह है कि एक्यूरेट के 2.10 लाख मीटरों में से एक भी चलता हुआ नहीं है। इस लिहाज से सभी मीटर खराब हैं। अब सवाल यह उठ रहा है कि कहीं गारंटी पीरियड को तकनीकी आधार पर पांच साल तो नहीं किया जा रहा है। 2007 की स्टेटस रिपोर्ट के आधार पर सिर्फ 26 हजार मीटरों का भुगतान काटकर बाकी कंपनी को भुगतान करने की तैयारी तो नहीं की जा रही है।

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