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Sunday, 17 February 2013

‘तानाशाह हैं ममता, राज्य में लगे राष्ट्रपति शासन ' - गुरुंग

दार्जिलिंग: गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) ने ममता बनर्जी नीत पश्चिम बंगाल सरकार को ‘तानाशाह’ करार देते हुए रविवार को कहा कि बनर्जी से उसका भरोसा उठ चुका है। जीजेएम ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने की मांग की है। जीजेएम प्रमुख बिमल गुरुंग ने कहा, ‘‘राज्य सरकार जानबूझ कर हमारे कामकाज में हस्तक्षेप और अतिक्रमण करती है। हम राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने की मांग करते हैं।’’ पृथक गोरखा लैंड प्रदेश के गठन के लिए जीजेएम ने अपना आंदोलन तेज करने के भी संकेत दिए। संगठन ने 14-15 मार्च और 21-22 को बंद का आह्वान करने के अलावा राज्य के उत्तरी पहाड़ी क्षेत्र में 9 मार्च से 27 मार्च तक राज्य व केंद्र सरकार के कार्यालयों को बंद कराने की भी घोषणा की है।  

गुरुंग ने कहा कि नई पर्वतीय परिषद-गोरखा लैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) बहुत बेहतर व्यवस्था नहीं है। उन्होंने बनर्जी शासन में सिद्धांतों और सूझबूझ की कमी का आरोप लगाया।  उन्होंने कहा, ‘‘हम पूर्व की वाम मोर्चा सरकार का विरोध करते थे, लेकिन उनके पास कुछ सिद्धांत थे और सूझबूझ थी। मगर यह सरकार तो ऐसे सद्गुणों से बिल्कुल वंचित ही है।’’  राज्य सरकार से भरोसा उठ जाने का उल्लेख करते हुए जीजेएम के महासचिव रोशन गिरी ने कहा, ‘‘हम नहीं समझते कि पश्चिम बंगाल सरकार के साथ बातचीत का कोई नतीजा निकल सकता है। अब हम अपनी गोरखालैंड के लिए मांग पर केंद्र सरकार से बातचीत करेंगे।’’  उन्होंने कहा, ‘‘जीटीए के लिए हमने कभी मांग नहीं की थी। यह एक अंतरिम समझौता था और जब तक हमें पृथक गोरखालैंड नहीं मिल जाता तब तक हम चुप बैठने वाले नहीं हैं।’’  जीजेएम ने ममता से पहाड़ के लोगों की भावना को चोट पहुंचाने के लिए माफी मांगने की भी मांग की है। 

 दार्जिलिंग में आयोजित एक कार्यक्रम में बनर्जी ने गोरखालैंड राज्य की मांग पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा था, ‘‘दार्जिलिंग हमारा (बंगाल) हिस्सा है।’’  पृथक राज्य के लिए प्रदर्शनों में दो दशकों के दौरान कई जानें जा चुकी हैं। इसके अलावा प्रदर्शन के कारण चाय, लकड़ी और पर्यटन उद्योग को भारी नुकसान पहुंच चुका है। पिछले वर्ष 18 जुलाई को जीजेएम, राज्य और केंद्र सरकार के बीच हुए त्रिपक्षीय समझौते के मुताबिक नए स्वायत्तशासी लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई जीटीए का गठन किया जाना था। नई पहाड़ी परिषद को उसकी पूर्ववर्ती दार्जिलिंग गोरखा पहाड़ी परिषद से ज्यादा अधिकार दिए जाने की बात कही गई थी। पिछले साल हुए मध्यावधि चुनाव में बहुमत में आए जीजेएम का जीटीए पर कब्जा है। गुरुंग जीटीए के प्रधान हैं।

साभार - पंजाब केसरी 

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