उत्तराखंड आपदा राहत के हीरो गोरखा मेजर महेश कार्की
भारत के गोरखा समाज को लम्बे समय से अपनी पहचान के लिए संघर्ष करना पड़ा है . इसी क्रम में उत्तराखंड में आये भीषण प्राकर्तिक आपदा के बीच मीडिया में राहत के दौरान नेपाली लोगो द्वारा लूटपाट और हमले की खबर आ रही है. इस प्रकार की रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि स्थानीय नेपाली लोग इस तरह के घृणित कृत्य में सम्मिलित है जो कि पूर्णत: सत्य नहीं है , उत्तराखंड की पहाडियों से हाल के दिनों में जमकर पलायन हुआ है जिसके बाद वहा के खेतों खलिहानों में कार्य हेतु बड़ी संख्या में नेपाल के मजदूरों का आना शुरू हुआ. इस नेपाली मजदूर वर्ग का एक बड़ा तबका नेपाल के मैदानी एवं तराई के इलाको से आ रहा है . इन लोगो के अलावा स्थानीय डोटिया लोगो के कुछ एक आपराधिक प्रवत्ति के लोगो द्वारा समूह बनाकर आपदा में फंसे लोगो के सामानों को लूटा जा रहा है . इससे इतर गोरखा लोग जो इस आपदा में ITBP और IAF के मार्फ़त इस राहत कार्य में अभूतपूर्व योगदान दे रहे है . इसी बानगी एक खबर आई है जिसे पढ़कर भारतीय गोरखा होने और उसके ज़ज्बे को समझा जा सकता है .
अशोक पोखरेल उपाध्याय, ऋषिकेश
भारतीय सेना के जवान ड्यूटी पर हों या छुट्टी पर देश सेवा का जज्बा एवं जुनून हमेसा उनके अंदर भरा होता है तथा अपनी जान की बाद मे सोचते हैं पर जरूरतमन्द की जानइनको अपनी जान से ज्यादा प्यारी होती है। ऐसे ही हमारे एक सैनिक हैं 5/5 गोरखा राइफल्स के मेजर महेश कार्की। मेजर महेश कार्की 12 जून 2013 से 7 जुलाई 2013 तक छुट्टी पर थे और देहरादून से बद्रीनाथ अपनी SUV मे जा रहे थे। इनकी गाड़ी मे इनकी पत्नी, 2 बच्चे एवं इनकी सास थीं। कर्णप्रयाग मे मेजर कार्की बारिश और इस सैलाब मेफंस गए फिर भी कैसे भी करके मेजर कार्की जोशीमठ पहुंचे। वहाँ पर पता चला की रोड टूट चुका था और मेजर कार्की को वापस जाने को कहा गया। अब मेजर कार्की के पास 2 रास्ते थे या तो वापस लौट आते एवं कुछ ना करते या फिर टूटे हुए रोड के उस ओर फंसे 25 लोगों को बचाते। मेजर कार्की से रहा नहीं गया और इन्होने अपनी पत्नी से कहा की आप मेरा इंतेजार करो, मैं अभी आता हूँ।
मेजर कार्की रोड के टूटे हुए हिस्से के दूसरी ओर गए एवं वहाँ से 4-4 करके फंसे हुए लोगों को टूटे हुए रोड के इस पार ले आए एवं सभी 25 लोगों को मेजर कार्की ने बचा लिया। मेजर कार्की 4 लोगों को इस लिए ला रहे थे क्यूंकी एक तो रोड टूटी हुई थी एवं बारिश लगाता रहा था ऐसे मे सभी को एक साथ लाने मे दुर्घटना होने की संभावना ज्यादा थी। यहाँ भी मेजर कार्की ने अपनी सूझबूझ एवं जुझारू सैनिक होने का फर्ज अदा करते हुए 25 लोगों की जान बचाई। मेजर कार्की ने ना सिर्फ लोगों की जान बचाई अपितु लोगों को अपने साथ लेकर गोविंदघाट तक आए जहां से सेना के ड्यूटी पर तैनात जवानों ने उन लोगों की सुरक्षा का जिम्मा अपने सर पर लिया।
धन्य है हमारा देश की हमारे देश मे ऐसे सैनिक हैं।
गोर्खालीयो के बिना इतिहास खाली है
गोर्खालीयो की बहादुरी की मिसाल बड़ी है,
गोर्खालीयो ने इस धरती को अपने लहु से सिंचा है
तभी तो इस धरती पर आज गौरवशाली लाली है"