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कहने भर को राष्ट्रीय राजमार्ग

देहरादून. कहने को राष्ट्रीय राजमार्ग और चौड़ाई केवल 11 फीट। जी हां यह वह कड़वा मजाक है जो राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग की ओर से किया गया है। विभाग ने इन मार्गो को राष्ट्रीय राजमार्ग का दर्जा तो दिया, लेकिन इनको मानकों के अनुसार बनाने की दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया। पर्वतीय मार्गो से गुजरने वाली इन राजमार्गो की की हालात खस्ता है। पेराफिट और ही यातायात सूचना के निशान। इसके चलते यह सड़कें सफर के लिए खतरनाक साबित हो रही हैं। बरसात के बाद यह खस्ताहाल सड़कें लोगों पर भारी पड़ रही हैं। पर्वतीय मार्गो पर होने वाली दुर्घटनाओं के बाद परिवहन विभाग विभाग ने जो रिपोर्ट तैयार की है, उसमें राष्ट्रीय राजमार्ग की चौड़ाई को लेकर चिंता व्यक्त की गई है।
त्यूणी के पास जिस जगह हाल ही में बस दुर्घटना हुई वहां चौड़ाई केवल 11 फीट है। यहां पर मोड़ इतना तीखा है कि बस को एक बार में मोड़ा नहीं जा सकता। इसके लिए बस को पीछे करना पड़ता है। उसके लिए भी बहुत ही सीमित स्थान है। उस पर आलम यह कि इतना संवेदनशील स्थल होने के बावजूद इस मार्ग पर कहीं भी पेराफिट नहीं लगे हैं। पूरे मार्ग पर कहीं सेंट्रल लाइन नहीं लगी है। रोड साइड मार्किंग नहीं है और ही यातायात के कोई चिह्न लगाए गए हैं। त्यूणी तो एक उदाहरण मात्र है। देखा जाए तो उत्तराखंड के अधिकांश पर्वतीय राजमार्गो की यही स्थिति है। उस पर हालत यह कि जगह-जगह मार्ग ध्वस्त हैं। चार धाम यात्रा मार्ग के संबंध में विभागों की ओर से बनाई गई रिपोर्ट में इन सड़कों पर तमाम डेंजर प्वाइंट्स का जिक्र किया जाता है लेकिन इनको दुरुस्त करने के लिए तो संबंधित सरकारी महकमों और ही राष्ट्रीय राजमार्ग की ओर से प्रभावी कदम उठाया जाता है।

" मानकों के अनुसार राष्ट्रीय राजमार्ग में सिंगल लेन की चौड़ाई तकरीबन साढ़े पांच मीटर यानि तकरीबन पंद्रह फीट होनी चाहिए। यदि ऐसा नहीं है तो फिर यह यातायात के लिहाज से खतरनाक है। " सीसी जोशी, अधिशासी अभियंता, राष्ट्रीय राजमार्ग, लोनिवि खंड


(साभार - जागरण)

Posted by Unknown on 06:36. Filed under , . You can follow any responses to this entry through the RSS 2.0. Feel free to leave a response

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