केदारनाथ को भारी नुकसान, सैकड़ों के मरने की आशंका
देहरादून। कुदरत की क्रूरता से तबाह उत्तराखंड में भयावह दृश्य अब धीरे-धीरे सामने आने लगे हैं। आपदा से केदारनाथ मंदिर को भारी नुकसान पहुंचा है। त्रासदी के प्रत्यक्षदर्शी बीते एक सप्ताह से केदारनाथ में तैनात रुद्रप्रयाग के पुलिस उपाधीक्षक आर. डिमरी ने बताया कि मंदिर परिसर मलबे और बोल्डर से पटा हुआ है। उन्होंने बताया कि परिसर में कई शव भी हैं। हालांकि वह इनकी संख्या नहीं बता पाए। उच्च स्तर पर आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मंदिर के गर्भगृह में मलबा घुस चुका है। उन्होंने भी माना कि परिसर में शव बिखरे हुए हैं। बताया जा रहा है कि वहां दो तिहाई भवन ध्वस्त हो चुके हैं। इसके अलावा गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग पर गौरीकुंड से सात किलोमीटर दूर रामबाड़ा का वजूद समाप्त हो गया है। शासन ने भी इसकी पुष्टि कर दी है। 100-150 दुकानों वाले रामबाड़ा बाजार में आमतौर पर यात्रा काल में पांच सौ या छह सौ लोग हमेशा मौजूद रहते थे। यहां कितने लोग हताहत हुए हैं, इसका पता नहीं चल पाया।
रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी वीके ढौंडियाल ने बताया कि केदारनाथ में मरने वालों की संख्या सैकड़ों में हो सकती है। शासन के अनुसार पूरे प्रदेश में अब तक आपदा से मरने वालों का आंकड़ा 54 पहुंचा है। तीन दिन बाद मंगलवार को बारिश थमते ही सरकारी मशीनरी सक्रिय हुई और राहत एवं बचाव कार्य आरंभ हो पाए। हालांकि सड़कें व संपर्क मार्ग ध्वस्त होने के कारण प्रभावित क्षेत्रों तक मदद पहुंचाना टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। मौसम में आ रही खराबी के कारण हेलीकॉप्टर से राहत कार्य चलाने में बाधा आती रही। सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एनडीआरएफ) की टीम राहत कार्यो में जुट गई हैं। इस बीच केदारनाथ में राहत एवं बचाव कार्य जारी है। सुबह छह बजे शुरू हुआ अभियान देर शाम तक जारी था।
पहले दिन 800 श्रद्धालुओं को सकुशल निकालकर गुप्तकाशी और फाटा पहुंचाया गया। प्रशासन के अनुसार केदारनाथ में पांच सौ और आसपास के इलाकों में अभी भी साढ़े तीन हजार लोग फंसे हैं। चार धाम के विभिन्न पड़ावों पर फंसे चालीस हजार से ज्यादा तीर्थ यात्रियों को अभी भी नहीं निकाला जा सका। इन यात्रियों के लिए खाने के पैकेट गिराए गए हैं। दूसरी ओर उत्तरकाशी पहुंचे आपदा प्रबंधन मंत्री यशपाल आर्य को प्रभावितों के गुस्से का सामना करना पड़ा। हालात बिगड़ते देख श्री आर्य उत्तरकाशी में बामुश्किल 15 मिनट रहकर लौट आए। हरिद्वार और ऋषिकेश में गंगा समेत पहाड़ की ज्यादातर नदियों के जलस्तर में अपेक्षाकृत कमी दर्ज की गई है, लेकिन ये खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। रुद्रप्रयाग जिले में हालात बेहद गंभीर हैं। सड़कें, पुल और संपर्क मार्ग क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। बीस हजार से ज्यादा प्रभावितों को विभिन्न स्कूलों में ठहराया गया है। मंगलवार को अलग-थलग पड़े झींगुरपानी, मुनकटिया और गौरी गांव में हेलीकाप्टर से खाने के पैकेट गिराए गए। चमोली में जिले में मदद का कार्य दोपहर बाद शुरू हो सका।
हेमकुंड साहिब के विभिन्न पड़ावों पर हेलीकाप्टर से खाने के पैकेट गिराए गए। उल्लेखनीय है कि हेमकुंड साहिब और बदरीनाथ के विभिन्न पड़ावों पर बीस हजार से ज्यादा तीर्थ यात्री भी फंसे हुए हैं। हेमकुंड साहिब के पास पुलना, गोविंदघाट और बदरीनाथ के पास पांडुकेश्वर के प्रभावितों के लिए प्रशासन टैंट भिजवाए हैं। हेमकुंड के आसपास के इलाकों से 12 लोगों के लापता होने की सूचना है। इसके अलावा जोशीमठ के पास जंगल में सात शव मिलने की भी सूचना है। उत्तरकाशी की स्थिति भी चमोली जैसी बनी हुई है। यहां भी प्रशासन हेलीकाप्टरों का इंतजार करता रहा। जिले में 12 राहत शिविरों में करीब दो हजार लोगों को शरण दी गई है, जबकि सैकड़ों लोगों ने अपने रिश्तेदारों के यहां पनाह ली। रुद्रप्रयाग, चमोली और उत्तरकाशी में बिजली और पानी की आपूर्ति पूरी तरह से चरमराई हुई है। उत्तरकाशी के गोमुख ट्रैक पर भोजवासा के पास 56 सैलानी फंसे होने के समाचार हैं।
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