|

ज़ंजीर यानी डेथ राईड्स अ होर्स

दीपक राई 
जिस फ़िल्म से अमिताभ बच्चन ने अपने आप को एंग्री यंगमेन की इमेज में बाँधा वो प्रकाश मेहरा की 1973 मेंरिलीज़ हुई सुपरहिट फ़िल्म "ज़ंजीर" थी .ज़बरदस्त एक्शन और बदले की कहानी के मसाले से भरपूर यह फ़िल्म उस साल की सबसे सफल फिल्मो में एक थी .इसी फ़िल्म ने पुराने ज़माने के रूमानी हीरो का रूतबा कम से कमतर कर दिया था .प्रकाश जी जिनको अमिताभ बच्चन को बिग बी बनाने का श्रेय जाता है भी किसी चोट्टे से कम नही थे.आप यह कतई मत सोचिएगा की आज के माडर्न ज़माने में चोट्टा शब्द कोई गाली या उनका अपमान करना है बल्कि आज तो हर हीरो अपने को कमीना, स्साले और ना जाने कितनो उपाधियो से नवाज़ रहे है इसलिए इस तर्क मे दम तो है कि चोट्टा शब्द लिखने मे मुझे कोई संकोच नही है बहरहाल बात करते है सन 1967 यानि ज़ंजीर फिल्म बनने के सात साल पहले . 

जिस प्रकार ज़ंजीर फिल्म में खलनायक अजीत हीरो के बचपन मे उसके माँ बाप को मार देता है और बालक अमिताभ यह सब देखता है लेकिन खलनायक कि केवल हाथ मे लटकता घोड़ेंनुमा ज़ंजीर देखता है...बस ऐसी ही कहानी डेथ राईड्स अ होर्स का मूल तत्व है अब आप समझे ना कि मैने चोट्टा क्यों लिखा कोई अँधा भी दोनो फ़िल्मो को देखकर बता सकता है कि दोनों में दारू तो एक है लेकिन बॉटल मे मुल्को का फ़र्क है .मुख्य अमेरिकी फिल्म मे नायक वेस्टर्न फ़िल्मो के मशहूर हीरो ली वेन क्लीफ थे जिन्होने कई यादगार वेस्टर्न फ़िल्मो मे काम किया है .अंत में एक बात तो कहना चाहूँगा नकली जितनी भी अच्छी क्यो न हो होती तो नकली है .असल का कोई मुकाबला नही है

Posted by Unknown on 02:03. Filed under , , , , . You can follow any responses to this entry through the RSS 2.0. Feel free to leave a response

0 comments for "ज़ंजीर यानी डेथ राईड्स अ होर्स"

Leave a reply